कटनी। गांधी जयंती के अवसर पर विजयराघवगढ़ (कटनी) के साहित्यकार
शैलेन्द्र पयासी ने सार छंद (16,12) में लिखी अपनी रचना
“गांधी” प्रस्तुत कर लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। यह कविता महात्मा गांधी के जीवन, उनके आदर्शों और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को समर्पित है।
कवि ने गांधी जी को “शांति दूत” और “बापू सबके प्यारे” के रूप में स्मरण करते हुए उनके कार्यों का चित्रण किया है। कविता में खादी, चरखा, भारत छोड़ो आंदोलन, महिला अधिकार, भेदभाव-उन्मूलन और स्वतंत्रता की लड़ाई जैसे प्रसंगों का उल्लेख है।
रचना : गांधी
शांति दूत थे गांधी बाबा, जग में सबसे न्यारे।
मिले महात्मा गांधी हमको, बापू सबके प्यारे।।
काटे बंधन घातक सारे, हिला प्रशासन सारा।
भारत छोड़ो आंदोलन में, चुन-चुन अरि को मारा।।
बापू मेरे जग में न्यारे, दुश्मन उनसे हारे।
मिले महात्मा गांधी हमको, बापू सबके प्यारे।।
खादी बनता चरखा चलता, नव पहचान बनाई।
भोग वासना मदिरा छोड़ी, बात नई सिख लाई।।
सत्य अहिंसा पाठ पढ़ा कर, रोज लगाये नारे।
मिले महात्मा गांधी हमको, बापू सबके प्यारे।।
भेदभाव को खत्म किया है, नव सम्मान दिलाया।
महिला रक्षा अधिकार बने, न्याय उचित करवाया।।
गांधी जी के पथ पर चलना, हो अब लक्ष्य हमारे।
मिले महात्मा गांधी हमको, बापू सबके प्यारे।।
दक्षिण अफ्रीका से गांधी, बैरिस्टर बन आए।
देश प्रेम में बढ़ता भारत, खुशियाँ गांधी लाए।।
देश वतन पर मिटना हमको, गूँजे जन-जन नारे।
मिले महात्मा गांधी हमको, बापू सबके प्यारे।।
— शैलेन्द्र पयासी, साहित्यकार
विजयराघवगढ़, कटनी (मध्यप्रदेश)
समाज को दिया संदेश
यह रचना गांधी जयंती पर सभी को यह प्रेरणा देती है कि गांधी जी के बताए सत्य, अहिंसा और सद्भाव के मार्ग पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।