कटनी :- हास्य और व्यंग्य के माध्यम से देश-विदेश तक कटनी जिले को पहचान दिलाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश प्रलय का सफर पड़ोसी जिले के मैहर के मंच से शुरू हुआ था। 41 साल का लंबा समय उन्होंने साहित्य साधना और गुदगुदाने वाले व्यंग्यों के बीच गुजारा। लोगों को के चेहरों में अपनी क्षणिकाओं के माध्यम से मुस्कान लाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार शुक्रवार की सुबह खुद जीवन भर के लिए खामोश हो गए।
वरिष्ठ साहित्यकार प्रलय के कवि मित्र मनोहर मनोज ने उनके संस्मरण साझा करते हुए बताया कि 18 जनवरी 1952 को नरसिंहपुर जिले के मेख गांव में जन्में प्रकाश प्रलय ने पढ़ाई के बाद दूरसंचार विभाग में सेवाएं देना शुरू कीं। उस दौरान से ही वे हास्य व्यंग्य की क्षणिकाएं लिखते थे। वर्ष 1975 के आसपास वे कटनी कार्यालय में पदस्थ हुए और फिर यहीं के होकर रह गए। वर्ष 1980 में प्रलय ने अपना पहला काव्य पाठ मैहर के एक मंच से किया और उसके बाद उनका साहित्य सफर चल पड़ा। भारत के बड़े-बड़े मंचों में अपनी क्षणिकाओं से गुदगुदाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार व कवि ने सिंगापुर, मारीशस, नेपाल के मंचों में अपने हास्य व्यंग्य के जरिए अलग छाप छोड़ी और राष्ट्रीय स्तर के कवियों ने नाम शामिल कराते हुए जिले का भी गौरव बढ़ाया।
एक दर्जन के लगभग कृतियां हुई प्रकाशित
साहित्यकार प्रकाश प्रलय की 41 वर्षों के सफर में लगभग एक दर्जन कृतियां प्रकाशित हुई। जिनमें प्याले में प्रलय, पुलिया कमजोर है, करेला नीम चढ़ा, कलम बंम, उठापटक, सैंया भये कोतवाल, जले पर नमक, खींचतान शामिल रही। उनकी सबसे चर्चित कृति प्रलय प्रपंच थी, जिसे देशभर में सराहना मिली। शहर से प्रकाशित होने वाले सांध्य अखबार दैनिक मप्र में पिछले कई साल से उनका नियमित कॉलम प्रकाशित होता रहा है तो काव्य यात्रा के दौरान उन्होंने कवि दरबार के 700 एपिसोड भी रिकॉर्ड किए। प्रलय कुछ दिनों से बीमार थे और 27 अगस्त की सुबह नागपुर में उन्होंने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली।
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