राजगढ़ -: स्त्री के लिए प्रसव वेदना सहन कर बच्चे को जन्म देना उसके स्वयं के लिए दोबारा जन्म लेने की तरह कहा जाता है। प्रसव पहला हो एवं सुरक्षित प्रसव के लिए आस-पास कोई नही हो तो भरी बरसात में एक आटो में बैठी मोड़बड़ली सुठालिया की 25 वर्षीय सिर्फ इकलेश बाई ही परलापुरा का गंदा नाला और मउतिराहे की उफनती नाली पार कर अस्पताल नही पहुंच पाने का दर्द समझ सकती थी। ऐसे में सब इंस्पेक्टर अरून्धती रजावत एवं आरक्षक इतिश्री राठौर ने जानकारी मिलते ही आटो में ही उसका न सिर्फ सुरक्षित प्रसव कराया बल्कि नवजात की साफ-सफाई कर पुत्र रत्न की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए नवजात पुत्र को इकलेश के गोद में दे दिया। एक ग्रामीण महिला पुलिस का ऐसा मानवीय स्वरूप देख आष्चर्यचकित थी और बार-बार पुलिसकर्मी और पुलिस विभाग का आभार मानते हुए खुशी के आसू छलका रही थी। उल्लेखनीय है कि सुठालिया के ग्राम मोड़बड़ली की इकलेष बाई की प्रसव पीड़ा को देख उसका पिता सिविल अस्पताल ब्यावरा ले जाना चाह रहे थे। लेकिन 4-5 दिन से लगातार हो रही वर्षा के कारण सुठालिया थाना के पीछे मउ तिराहे की नाली और परलापुरा का गंदा नाला उफान पर चलते हुए प्रसव पीड़ा बर्दाशत कर इकलेश बाई का रास्ता रोके था। ऐसे में बेटी का दर्द देख नही पा रहा उसका पिता सीधे सुठालिया थाना पहुंच गया और प्रसूता को बचाने की गुहार लगाई। एक पिता का दर्द और जच्चा-बच्चा का जीवन खतरे में देख उप निरीक्षक अरून्धती ने सबसे पहले सुठालिया स्वास्थ्य केन्द्र से नर्स को बुलाया और आरक्षक राठौर को साथ लेकर प्रसूता तक दौड लगाकर पहुंच गई। उन्होंने इकलेष बाई का आटो में ही सुरक्षित प्रसव भी कराया और स्वास्थ्य केन्द्र सुठालिया पहुंचाया जच्चा-बच्चा पूर्णतः स्वस्थ्य है और इकलेश भी अपने पुत्र को सुरक्षित तथा स्वस्थ्य पाकर फूले नही समा रही है।।
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