कटनी -: जिले के कोतवाली क्षेत्र में एक समय था जब सट्टा जुआ और नशीले कारोबार पर कड़ा पहरा था, जिसके चलते अपराधों पर खासा नियंत्रण था। लेकिन अब ये गुजरे ज़माने की बात है। अब यह कारोबार फ़िर से अपनी जड़ें जमाने लगा ह॥ खास बात ये है, कि यह लाईलाज बीमारी अपने बूते नही खड़ी हो रही है। इसमें कटनी कोतवाली पुलिस का बेहद अहम और पूर्ण समर्पित योगदान है। अब इस मसले को इसी बात से समझा जा सकता है। कि कोतवाली थाना से महज सौ फ़र्लांग की दूरी पर सट्टा बाजार सजा है, और नगर कोतवाल साहब को भनक तक नही है! है ना आश्चर्य की बात? जी हां जिला अस्पताल के सामने फ़ूल मंडी के दुकानों के पीछे सजी सट्टा कारोबार की इन तस्वीरों को देखिए और तय कीजिए कि कानून सरकार के नुमाईंदों के हांथ में है या सटोरियों के हांथ में। सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है। कि यह वही पुलिस है जो डकैती की योजना बनाने के पहले हीं मुजरिम को धर दबोचती है। लेकिन यहां खुल्लेआम सट्टा का बाजार चल रहे मामले की जानकारी ना तो साहब अरे हां भाई नगर कोतवाल को है, और ना हीं साहबों के नुमांईदों के अलवा कप्तान साहब को है।
कप्तान साहब तो इतने नामालूम हैं कि पूछो हीं मत। अगर उन्हें यह खबर और वीडियो भी दिख जाएगा तो वे अपने छत्रप अरे हां भई थाना प्रभारी तस्दीक जरूर करेंगे। उन्हें खबरों से ज्यादा अपने उन मातहतों पर भरोसा है, जो सरे आम उन्हें कटनी जिले का चूना लगा रहे हैं। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इन्हीं कप्तान साहब के कार्यकाल के दौरान अजय बहादुर सिंह नगर कोतवाल थे और तब सट्टा बंद था।उसके पहले एस पी एस बघेल भी सट्टा के खिलाफ़ थे। लेकिन इन्हीं साहब के कार्यकाल में जब आशीष जी कुर्सी पर विराजमान हुए तो उन्होंने सट्टा कारोबारियों अभय दान का आशीष प्रदान कर दिया। वजिरे आला की परमिशन के बगैर अरे हां भाई वजीरे आलम यानि एस0 पी0 साहब के ईजाजत के बगैर यह कैसे संभव हो सकता है?
खैर आप देखिए इन तस्वीरों / वीडियो को कल फ़िर एक नए एपीसोड के साथ हम आपके सामने होंगें बस थोड़ा सा इंतजार्।

By @mit